रूपरेखा- 
(1)प्रस्तावना हमारे त्योहार 
(2)मनाने के आधार व्यापारिक, सामाजिक और          सांस्कृतिक
(3)दीपावली का महत्व 
(4)दीपावली मनाने की विधि तथा संलग्न त्योहारों का    वर्णन 
(5)उपसंहार

(1)प्रस्तावना- मनुष्य उत्सव प्रिय है इसलिए समाज में  प्रत्येक ऋतु में आमोद प्रमोद के लिए किसी ना किसी त्यौहार या मेले का आयोजन  का विधान  किया जाता है  शरद ऋतु का महत्वपूर्ण  त्यौहार है  दीपावली जो कार्तिक की अमावस्या को मनाया जााता है दीपावली शब्द का अर्थ है दीप + अवली  अर्थात दीपों की पंक्ति इस दिन घर गली नगर ग्राम सभी दीपको के आलोक से प्रकाशित होते हैं
    दीपावली जोश आनंद तथा स्वच्छता का त्योहार है यह जागृति तथा स्फूर्ति का अग्रदूत है अंधकार से विश्व को प्रकाश का संदेश देता है निरंतर प्रकाश स्त्रोत बंद कर आगे कदम बढ़ाने की प्रेरणा प्रदान करता है

(2) त्योहार मनाने का आधार-दीपावली मनाने के कारण अनेक है व्यापारी इस दिन को व्यवसाय के लिए शुभ मानते हैं इस शुभ दिन से नवीन वही आरंभ करते है 
  दीपावली जिस समय मनाई जाती है उस समय खरीफ की फसल तैयार होती है ज्वार बाजरा मक्का आदि किसान के घर आते हैं उसका हृदय उल्लास से  भरा होता है उसकी उल्लास में वह दीपावली का उत्सव मनाता है 14 वर्ष के बाद बनवास की अवधि समाप्त करके रावण पर विजय प्राप्त कर रामचंद्र जी इसी दिन अयोध्या लौटे थे उनके स्वागत में अयोध्या वासियों ने भारी हर्ष और उल्लास के साथ खुशियां मनाई और अपने घरों पर दीपक जलाकर प्रकाश किया था  इसी दिन गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी का निर्माण का दिन यही था इस कारण से इस त्यौहार पर दीप जलाकर प्रकाश किया जाता है

(3) दीपावली मनाने का महत्व- दीपावली मनाने के कारण कुछ भी हो परंतु विभिन्न दृष्टि ओं से यह त्यौहार विशेष महत्व का है सफाई की दृष्टि से विचार करें तो वर्षा ऋतु में विभिन्न प्रकार के छोटे-छोटे जीप तथा जीवाणु पैदा हो जाते हैं अतः सर्वत्र गंदगी का साम्राज्य हो जाता है इस त्योहार पर सब घरों की सफाई करते हैं गंदे वातावरण को शुद्ध करने के लिए दीपक जलाए जाते हैं दीप को से उठने वाली आग और गैस विषाक्त जीवाणुओं को नष्ट कर देती है और रोग के जीवाणुओं को मारती है इस प्रकार स्वस्थ वातावरण के लिए इस त्यौहार का एक विशेष महत्व है
यह पर्व भौतिक और आध्यात्मिक प्रकाश का संदेश लेकर आता है दीपावली मनुष्य की संपन्नता तथा प्रकृति का त्योहार है आनंद उल्लास और कल्याण का अवसर है

(4) त्योहार मनाने की विधि- यह त्यौहार 5 दिन तक मनाया जाता है इसका प्रारंभ धनतेरस से होता है यह वैधराज धनवंतरी का अवतार दिवस है चतुर्दशी को छोटी दीपावली मनाते हैं तीसरे दिन अमावस्या को मुख्य त्यौहार होता है इस दिन  वृद्ध युवा तथा बच्चों में प्रातः काल से ही उत्साह होता है बड़े लोग अपने दायित्व पूर्ण कार्यों में लगते हैं बालकों को मिठाईयां खिलौने आतिशबाजी मुग्ध कर देती है पटाखे चलाकर धूम मचाते बच्चे अपना आनंद प्रकट करते हैं इस दिन विविध प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं सभी सुंदर स्वच्छ और नवीन कपड़े पहनते हैं शाम के समय दीप मालाओं से घरों में प्रकाश किया जाता है रात्रि को घर के सभी लोग लक्ष्मी जी का पूजन करके धन की वृद्धि की कामना करते हैं
      त्यौहार के चौथे दिन गोवर्धन पूजा होती है इस दिन अन्नकूट तैयार किया जाता है प्रसिद्ध है कि जब ब्रज के विनाश के लिए इंद्र क्रोधित होकर वर्षा करने लगे तब समस्त ब्रज मंडल में गोवर्धन की पूजा की गई जिससे ब्रज की रक्षा हुई और इंद्र देव का अभिमान चूर हुआ पांचवे दिन भ्रातृ द्वितीय को बहन ने भाई को टीका करके दीर्घ जीवी होने की कामना करती हैं इसके बदले में भाई बहन को वस्त्र धन आदि देकर उनका सम्मान करते हैं इससे स्नेह भाव में वृद्धि होती है

(5) उपसंहार- इस त्यौहार के साथ-साथ समाज में कुछ दोष भी आ गए हैं इस अवसर पर लोग जुआ खेलते हैं शराब पीते हैं इस बुरे वातावरण को समाज से दूर करना चाहिए जिससे दीपावली का त्यौहार पवित्रता तथा उपयोगिता स्थिर रह सके दीपावली का त्यौहार सुख समृद्धि एवं आलोक का त्यौहार है हमें इस दिन व्रत लेना होगा कि हम केवल बाहरी सोचता ही ना करें अपने हृदय को भी स्वच्छ तथा पवित्र बनाएं घर पर कहीं अंधकार की छाया दृष्टिगोचर ना हो कविवर नीरज के शब्दों में

        " जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
          धरा पर अंधेरा कहीं रह ना जाए "