विज्ञान के बढ़ते  चरम
 रूपरेखा-(1)प्रस्तावना -विज्ञान से अभिप्राय 
(2) विज्ञान की व्यापकता
(3)विज्ञान के अनेक उपयोग 
(4)यातायात 
(5)व्यवसाय 
(6)मनोरंजन 
(7)चिकित्सा 
(8)विज्ञान का विनाशकारी रूप 
(9)उपसंहार -विज्ञान के सदुपयोग की आवश्यकता

(1) प्रस्तावना-आज जल थल  तथा नभ में विज्ञान की पताका लहरा रही है जीवन तथा विज्ञान एक दूसरे के पर्याय बन गए हैं विज्ञान से मानव को असीमित  शक्ति मिली है आज वह अकाश में पक्षी  की तरह उड़ सकता है पर्वतों को लांघ सकता है सागर की छाती को चीर कर जलयान द्वारा अपने उत्थान पर इठला सकता है पृथ्वी को उसने अपनी दासी बना लिया है दूरियां सिमट कर रह गई है 

 (2)विज्ञान की व्यापकता- विज्ञान की व्यापकता सभी क्षेत्रों में हुई है विश्व के देशों में आगे बढ़ने की परस्पर होड़ लगी है  यही कारण हैै कि हमारी इच्छाएं  तथा आराम की सीमाएं  भी बढ़ती जा रही है भोजन आवास यातायात चिकित्सा मनोरंजन कृषि युद्ध उद्योग आदि सभी क्षेत्र विज्ञान से प्रभावित है आधुनिक युग में विज्ञान केे बिना मानव के अस्तित्व की कल्पना भी असंभव प्रतीत  होती है विज्ञान की सहायता से मनुष्य भौतिक शक्तियों पर विजय प्राप्त कर रहा है और प्रकृति के रहस्य को प्रकाश में ला रहा है आकाश में उड़ते हुए विमान  चंद्रयान  उसका यशगान  करते हैं समुद्र की छाती पर तीव्र गति से  तैरते हुए जलयान  और  पनडुब्बियां  उसकी कीर्ति- पताका  फहराते  प्रतीत होते हैं 

(3) विज्ञान के  अनेक उपयोग- ईंधन उपकरण आदि ऐसे अनेक साधन विज्ञान ने दिए हैं कि जीवन बहुत सक्रिय हो गए हैं बिजली द्वारा संचालित पंखे बल्ब हीटर कुकर कूलर आदि साधन प्राप्त है अब तो विद्युत से झाड़ू लगाना कपड़े धोना सुखाना और प्रेस करना आदि भी संभव है कंप्यूटर में मनुष्य के मस्तिष्क के का कार्यभार संभाल लिया है

(4) यातायात- विज्ञान ने मानव जीवन में दूरियों को नजदीकी में बदल दिया है मानव जिस दूरी पर अपार जनधन की हानि के बाद वर्षों में पहुंच पाता था आज उसे अल्प समय में ही तय कर सकता है साइकिल स्कूटर कार मोटर रेलगाड़ी हवाई जहाज और रॉकेट जैसे वाहन आज मनुष्य के पास है वह चंद्रमा का भ्रमण कर चुका है और अन्य ग्रह पर जाने की तैयारी में है 

(5)  व्यवसाय- विज्ञान  ने कृषि उद्योगों कल कारखानों आदि का असीमित विकास किया है कृषि को विकसित बना दिया है विज्ञान के द्वारा तैयार इस्पात  खाद उपकरण खाद्य पदार्थ  वस्त्र  आदि बनाने के असीमित  कारखाने हैं  लघु एवं कुटीर  उद्योगों में भी  विज्ञान की सहायता से  पर्याप्त विकास हुआ है 

(6) मनोरंजन- मनुष्य को श्रम करके थकने के बाद मनोरंजन  की आवश्यकता होती है आज रेडियो टेप रिकॉर्डर वी. सी.आर. टेलीविजन सिनेमा आदि वैज्ञानिक साधन मनुष्य के मनोरंजन के लिए हर समय तैयार हैं मनोरंजन के साथ-साथ  इनसे विभिन्न स्थानों विषयों संस्कृतियों कार्यक्रमों आदि का ज्ञान भी प्राप्त होता है इनसे दूर स्थित कार्यक्रम घर बैठे यह देखें सुने जा सकते हैं 

(7) चिकित्सा- औषधि विज्ञान और सनी विज्ञान शैली विज्ञान शल्य विज्ञान आज इतना विकसित हो गया है कि शरीर के अंदर के प्रत्येक रोग एक्स-रे आदि द्वारा पता कर सकते हैं  वैज्ञानिक साधना से कैंसर जैसे रोगों का उपचार  संभव हो गया है  परखनली द्वारा  शिशु को जन्म देकर  विज्ञान आज  जीवन दाता बन गया है 

(8) विज्ञान का विनाशकारी रूप-विज्ञान ने युद्ध के क्षेत्र में बहुत अधिक प्रगति की है  हम ऐसे हत्यारों को तैयार कर के बैठे हैं  जिनसे वर्तमान की वनस्पतियां और मनुष्य नष्ट नहीं होंगे आज आने वाली संताने भी विकलांग पैदा होंगी वैज्ञानिक अस्त्रों के आविष्कारों के कारण मनुष्य का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है हाइड्रोजन एटम बम की सहायता से से आज संसार को पल भर में नष्ट किया जा सकता है  और समस्त भेजो  विश्व  विज्ञान के भय से प्रक्रमपित्त है

(9) उपसंहार- अंत में कहा जा सकता है कि विज्ञान ने दोनों प्रकार की वस्तुएं प्रदान की है संरचनात्मक और  विनासात्मक आज विज्ञानी को वैज्ञानिकों राजनीतिज्ञ तथा समाजसेवियों का कर्तव्य है कि वे विज्ञान के उपयोगी स्वरूप को ही महत्त्व दें अंतरिक्ष की खोज के लिए विज्ञान का प्रयोग हो परस्पर लड़ने हेतु नहीं अब आवश्यक है कि विज्ञान की ऐसी उपलब्धियां हो जो मनुष्य में आत्म संतोष से धैर्य आदि की विधि का सके आदि की वृद्धि कर सकें इस दिशा में विज्ञान को सक्रिय होना चाहिए स्थान की दूरी कम करके करने के साथ ही  मानव हृदयो की  दूरी भी कम करना आवश्यक है तभी "वसुधैव कुटुंबकम" की स्थापना हो सकेगी और तब यह विज्ञान की महान उपलब्धि होगी